23 समाजिक शायरी हिंदी में
Sanjeev ki Samajik Shayari Samajik Shayari जमीं जितनी तुम्हारी है, जमीं उतनी हमारी है गर्भ में मार देते हो, कहाँ की ये बीमारी है? वो बेटी है जो हर एक रूप से, दुनिया सजाती है वह मां है वह बहना, वह पत्नी तुम्हारी है! Samajik Shayari शक्ल, सूरत देख दोस्ती करना युवाओ मे गलत प्रचलन है! प्यार काटीट का नही संजीव दो आत्माओ का मिलन है! जीवन ही संघर्ष है, है सांसो का मोल समय बीतता जा रहा, कुछ तो मीठा बोल || डिग्रिया तो तालीम के खर्चो की रसीदे है इल्म वही जो किरदार मे झलकता है सूरत पर सवाल क्यों ? सीरत का भी ध्यान रखो ! नुमाइशो के खेल बहौत सच्चाई का भी ज्ञान रखो ! काला गोरा नजरो का प्रारूप केवल इंसानियत का भी मान रखो ! सूरत पर सवाल क्यों ? सीरत का भी ध्यान रखो ! हुस्न की तारीफ, सादगी का मजाक कुछ ऐसा है आजकल, दुनिया का मिजाज! झूठ और सच की बस ही इतनी कहानी है जो झूठ है वो धुआँ है, जो असल है वो पानी है! समुद्र यदि शांत हो तो कोई भी जहाज चला सकता है ! राजनीति के चक्कर मे जो पड़े है कसम से अंदर तक नफरत से भरे है! जिनकी लाइफ का कोई डायरेक्शन नही वो लेफ्ट-राईट के झगड़े मे पड़े है!