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लालची ब्राम्हण(Bramhan) की कहानी
Lalchi-Bramhan-Ki-kahani
Bramhan
यह कहानी है एक राजा की है जिसका कोई संतान नहीं था,
राजा ने अपने घर ब्राम्हण (Bramhan)को बुलाकर पूजा-पाठ करवाए तब
जाकर उसके यहां एक पुत्री का जन्म हुआ, राजा ने उसी
ब्राम्हण(Bramhan)से कहा कि इस पुत्री का जन्म कुंडली बनाओ और
इसकी जीवन कैसी है क्या क्या सुख दुख है मुझे बताओ,
अब ब्राम्हण ने उसकी जन्म कुंडली को पढ़ा तो उसे लालच
हो गया क्योंकि कुंडली के हिसाब से पुत्री जिस घर में रहेगी
उस घर की संपत्ति में वृद्धि होगी | जितने दिन तक वे पिता
के घर में रहेगी उतने दिन पिता के घर की संपत्ति की वृद्धि होगी,
और जितने दिन तक पति के घर में रहेगी उतने दिन तक
पति के घर की संपत्ति की वृद्धि होगी | राजा ने पूछा
बताओ ना महाराज मेरी पुत्री के जन्म कुंडली में क्या लिखा है,
उस लालची ब्राम्हण ने जो लिखा था उसके विपरीत बताया कि
जिस घर में रहेगी उस घर का सर्वनाश कर देगी और उस
लालची ब्राम्हण ने राजा को उपाय बताया कि इस पुत्री का जन्म
से लेकर मृत्यु तक सारा खर्चा एक बक्से में भरकर तथा इस पुत्री
को भी उसी बक्से में रखकर नदी में प्रवाहित कर दो आपको
कोई पाप नहीं लगेगा क्योंकि आप उनके विवाह तक सारे खर्चे
का निर्वाह कर रहे हो, राजा ने बोला कि मैं ऐसे कैसे अपनी
पुत्री को नदी में प्रवाहित कर दू , उस लालची ब्राह्मण ने कहा
राजा बालक तो फिर हो जायेंगे लेकिन कूल संपत्ति वापस नहीं
आएगा,बहुत देर मनाने के बाद राजा मान जाता है और बहुत
रोता है सारे राज्य में मातम मची होती है, उधर लालची ब्राम्हण
मुहूर्त निकलता है और एक दिन बाद का मुहूर्त होता है, जब वह
ब्राम्हण अपने घर जाता है और अपने पुत्रों से कहता है कल नदी
किनारे चले जाना और उधर से एक बक्सा आएगा उसे बिना
खोले चुपचाप लाकर मेरे कमरे में रख देना | 1 दिन बाद मुहूर्त
का समय आ जाता सारा नगर नदी के किनारे खड़ा होता और
राजा अपने हृदय में पत्थर रखकर पुत्री को बक्से में भरकर सोना
चांदी हीरे मोती के साथ नदी में प्रवाहित कर देता है और बहुत रोता है,
बक्से थोड़ी ही दूर जाता है कि वहां नदी के किनारे एक दूसरे राज्य का
राजकुमार भालू को पकड़कर खड़े होते हैं और साधन ढूंढ रहे हैं कि
भालू को किसमें भरकर ले जाउ तभी नदी से एक बक्सा आते हुए
दिखाई देते हैं,राजकुमार भालू को रस्सी में बांधकर बक्से को उठा लेता है
और खोलता है तो उसमे एक नन्ही सी बालिका होती है राजकुमार भगवान
को शुक्रिया अदा करते हुए कहते हैं कि हे भगवान मेरी कोई बहन नहीं थी
आपने मुझे बहन दे दिया वो भी अपनी सारी संम्पत्ति के साथ |
राजकुमार का भालू के प्रति प्रलोभन दूर हो जाता है, और वह
अपनी बहन व् आभूषण बक्से से निकाल लेता है, और भालू को
उस बक्से में रखकर नदी में प्रवाहित कर देता है, उधर लालची
ब्राह्मण का पुत्र खड़ा होता है और बक्सा आता है उसे उठाकर
लालची ब्राह्मण के कमरे में लाकर रख देता है, शाम को ब्राम्हण
राजा के यहां से अपने घर आता है और बक्से की पूजा करके उसे
खोलता है तो भालू उसके आँखो में प्रहार करते हुवे आँखों को
नोच लेता है और वह लालची ब्राम्हण अंधा हो जाता है !!
इस कहानी से दो बात साबित होती है कि
(1) इस तरह लूटने वाले लोगों से बचकर रहना चाहिए | और
(2) हमें कभी लालच नहीं करना चाहिए,
क्योंकि हम जैसा कर्म करेंगे वैसा फल हमें भुगतना पड़ेगा |
फायदा तो कुछ नहीं होगा लेकिन अंत में घाटा जरूर होगा
जिस तरह ब्राह्मण(Bramhan)का दोनों आंख चला गया |
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