मुखौटे ही मुखौटे हर जगह छुपा लिए ये चेहरे हैं

मुखौटा ही मुखौटा  ------


ओढ़ मुखौटा चेहरे पर


छुपा लिए ये चेहरे हैं
मुखौटे की ओट में कितने


राज दबा लिए गहरे हैं,
मुखौटे ही मुखौटे हर जगह


सच्चे ना बचे अब चेहरे हैं।


अच्छी लगती थी हंसी जिनकी


झूठी मुस्कुराहट बनाए बैठे है


उड़ते जुगनू जिस आंगन में
मुट्ठियों में उन्हें दबाकर जुबां


पर खामोशियों के पहरे है


मुखौटे ही मुखौटे हर जगह


सच्चे ना बचे अब चेहरे हैं।


 

मुखौटा ही मुखौटा

जाने क्यू झूठ - फरेब जोड़कर
तौल लेते झूठी उम्मीदों से
पलभर में बदल के फितरत


पीछे इनके घनघोर अंधेरे है।


देख रहा खामोशी से इनका मिलना और बिछड़ना


हो रहा है पढ़ पाना मुश्किल पीछे इसके छुपा लिए चेहरे है


मुखौटे ही मुखौटे हर जगह


सच्चे ना बचे अब चेहरे हैं।



writer  पराग शर्मा



इसे भी पढिये ----













सर्वश्रेष्ठ सुविचार हिंदी मेंmanushya ki kahani (लालची मनुष्य )
motivation shayari for societyअनमोल वचन शायरी इन हिंदी 

 

 

Comments

Post a Comment