ईर्ष्या का प्रभाव छोटी सी कहानी

ईर्ष्या का प्रभाव ------


एक संत ने अपने शिष्यों को खास शिक्षा देने के लिए कहा की वे जिससे भी ईर्ष्या करते हैं


उसका नाम आलुओं  लिखकर उन्हें सात दिन तक अपने पास रखे |


दो तीन दिनों बाद ही शिष्यों ने आपस में शिकायत करना शुरू किया,


जिनके आलू ज्यादा थे, वे बेहद कष्ट में थे, व् जिनके आलू कम थे वे कम कष्ट में थे |


आखिरी  दिन संत ने बोले अब आलुओं की थालियाँ निकालकर रख दें |


संत ने सात दिनों का अनुभव पूछा ? सभी ने अपनी अपनी पीड़ा सुनाई |


आलुओं की बदबू से होने वाली परेशानी के बारे में बताया |


संत बोले जब सात दिनों में ये आलू तुम्हे बोझ लगने लगे तो सोंचिये की आप


जिन लोगो से ईर्ष्या या नफरत करते हैं उनका कितना बोझ मन पर होता होगा ?


सोंचिये मन और दिमाग का इस ईर्ष्या के बोझ से क्या हालत होती होगी ?


यह ईर्ष्या तुम्हारे मन पर अनावश्यक बोझ डालती हैं,


उनके कारण तुम्हारे मन में भी बदबू भर जाती है उन आलुओं की तरह |


इसलिए अपने  मन से इन भावनाओं को निकल दो |


 

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