सही रफ्तार पकड़ेंगे
Sahi Raphtar Pakadenge -----
sahi raphtar pakadenge
हमारे हौसले जिस दिन सही रफ्तार पकड़ेंगे।
किनारे छोड़ कर उस दिन नदी की धार पकड़ेंगे।
समय रहते व्यवस्था ने अगर अवसर दिया इनको
यही जो आज खाली हाथ हैं औजार पकड़ेंगे।
अगर रुजगार मिल पाया नहीं इन नौजवानों को
कहीं ये राह भटके तो यही हथियार पकड़ेंगे।
अभी है वक्त सिखा दो इन्हें तहजीब पुरखों की
बहुत मुमकिन है वरना ये नया किरदार पकड़ेंगे।
हवाएं रुख बदल कर चल रही हैं आजकल यारों
हवा के साथ जाकर कौन सा व्यापार पकड़ेंगे।
हमें तो शौक उड़ने का गगन में पछियों जैसा
जिन्हें चस्का गुलामी का वही दरबार पकड़ेंगे।
Writter "रामचरण"
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