खामोश ही खामोश शानदार कविता

 

खामोश शानदार कविता -----


निगाहें खामोश हैं , आंहे खामोश हैं ,


खामोश हैं वे रास्ते, जहाँ से शहीद गुजरे हैं |


 

खामोश

घर द्वार खामोश हैं ,गाँव-नगर खामोश हैं ,


खामोश हैं वह पक्षी, जिसकी मांग में अंगारे दहक रहे हैं |


खामोश हैं पिता को पुकारते होंठ , खामोश हैं


गोदी  को पसारती बांहे ,


  खामोश हैं वह बचपन , जंहा हर प्रश्न  खामोश हैं |


वृद्ध पिता खामोश हैं , वृद्ध माता खामोश हैं ,


खामोश हैं बूढी हड्डियाँ ,


खामोश है

 

जिन्होंने जवान बेटे का गम सहा हैं |


खामोश हैं दिन की रोशनी, खामोश हैं रात का अँधेरा ,


खामोश हैं वह दीपक, जिसका प्रकाश छीन गया |


आशा  जाकड़ 


 

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