"फूल परी" बाल कविता
फूल परी शानदार कविता ----
फूल सरीखा रूप तुम्हारा,
लगती बिलकुल फूल परी |
मेरी बेटिया रानी तुम तो,
नील गगन से हो उतरी |
उजला -उजला रंग तुम्हारा,
परियों जैसे हैं आँखे |
पापा-मम्मी के मन भाती,
तेरी तुतलाती बाते |
घुटनों के बल चलना तेरा,
याद दिलाये बचपन की |
है दिल का टुकड़ा बिटिया,
शोभा तू घर आंगन की |
तुझको रोता देखूं मैं तो,
आँख रहे ये भरी -भरी |
मेरी बेटिया रानी तुम तो,
नील गगन से हो उतरी |
तुलसी का पौधा पावन तुम,
सुबह - सवेरे की लाली |
पौ फटते ही खिलती जैसे
तुम वो फूलों की डाली |
तुझ पर वारूँ मैं खुशियां,
गम कोसो सब दूर रहे |
उड़े गगन में पंछी बनकर,
इन आँखों में नूर रहे |
स्वाभिमान रहे चहरे पर,
कंचन जैसी रहे खरी |
फूल सरीखा रूप तुम्हारा,
लगती बिलकुल फूल परी |
गोविन्द भारद्वाज
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