आदमी ---- अद्भुत स्टोरी एक बार जरुर पढ़े

आदमी ----

पाश कालोनी में लोग प्रायः अहंकार-वश आत्मकेंद्रित होकर अपने बंगले में खुसे रहते हैं |


फिर कोरोना के कारण वैसे भी यंहा सुनसान थी |


इस पर पैंतालिस डिग्री तापमान की दोपहरी अलग था |


एक मजदुर को बहुत तेज प्यास लगी थी | उसने दो-तीन बंगलो के बाहर


जाकर इस आशा से आवाज दी की शायद कोई उसे पानी पिला दे |


लेकिन किसी ने कोई आवाज नहीं दिया |


आखिर उसे एक बंगले के बाहर कॉल बेल लगे दिखाई दिया |


उसने हिम्मत कर बेल बजाई | तीन चार बार बेल बजाने पर एक


साहबनुमा व्यक्ति ने दरवाजा खोलकर गुस्से से देखा |


आदमी

मजदुर बोला


"साहब थोडा पानी पिला दीजिये "|


'भाग यंहा से , मेरे यहाँ अभी कोई आदमी नहीं हैं '|


"साहब गला बहुत सुख रहा हैं "| 'कोई आदमी नहीं है मेरे पास' |


"साहब मेहरबानी होगी , थोड़ी देर के लिए  आप ही आदमी -------- |" इससे आगे उससे शब्द नहीं निकल पाए |


मुरलीधर वैष्णव


 

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