सावन आया शानदार कविता
आया सावन अमृत-सी जल बूंदे बरसाता शीतल-शीतल पावन पावन भीगी धरती सोंधी खुशबू का फैला झोंका मन को हर्षाता। फूट रहे बीजों के अंकुर नन्हे-नन्हे हरे पांत के जब सजते हैं संतूर वातायन मधुरिमा से छिब जाता । क्षितिज से जब बादल घुमड़ घुमड़ आता। नदियों में खुशियों का कल कल सागर में फेनिल फेनिल हलचल न्योता दे आता । झरनों के मीठे गीतो को सुर संगम स्वर लहरियों की धूम मचाता । परंपराओं में पर्वों की पाहुनचारी निभाता । संस्कृति में झिलमिलाता अंतर्मन में शीतल ने बिखेरे घरों की दीवारों पर कंकु के छापे उकेरे प्रकृति और जीवन की कड़ियां जोड़ जाता। आया सावन अमृत सी जल बूंदे बरसाता । डॉ. सीमा शाहजी इसे भी पढ़िए --- बादल आजा शानदार कविता अभी पढ़े 100 प्रेरणादायक विचार एक बार जरुर पढ़े मुमकिन है मोटिवेशनल स्टोरी