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Showing posts from August, 2020

भारतीय किसान की व्यथा

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  किसान की समस्यांए ---- ( गरीब किसान का जीवन पर कविता ) नीले आसमान को निहारती ये आंखें, बूंद बूंद पानी को तरसते प्यासी ये आंखें, ना जाने इन आंखों में आती आंसुओं की धार कहां से। तरस रही ये धरती भी बूंद बूंद पानी को, बुझी ना प्यास इस धरती की, आंखों से छलकते इन आंसुओं की धार से, ना जाने इन आंखों में आती आंसुओं की धार कहां से। उठाया है हल मैंने अपने कंधों पर, लेकर तुम्हारी भूख मिटाने का संकल्प, तुम्हारे लिए बरसों से मैंने चीरा है, अपनी धरती मां का सीना, ताकि परोस सकु, तुम्हारी थाली में अन्न रूपी वो खून पसीना, अन्न रूपी वो खून पसीना।   आजीवन करी जोखिम भरी किसानी है ये, खुद भूखा रहकर आपकी भूख मिटाई है, नारों में किया जिसका तुमने खूब जय जयकार है, तुम्हारी भूख मिटाने वाला मैं भूखा किसान हूं। अब कुछ ना बचा मेरे पास गिरवी रख आने को, कहने को बस अब ये अधमरी सी जान बाकी हैं, जाकर क्या जवाब दूं, मेरी बूढ़ी मां को, रसोई में निहारती घरवाली को, भूख से बिलखते मेरे बच्चों को, बच्चों की भूख में धधकती ये आंखें, बूंद-बूंद पानी को तरस की प्यासी ये आंखें, ना जाने इन आंखों में आती आंसुओं की धार कहां से। काश व

धनवान विलासी व्यक्ति की कहानी

हर पल को खुशी से जियो ----- संत की प्रेरणा एक नगर में एक बड़ा धनवान व्यक्ति रहता था । वह बहुत ही विलासी प्रकृति का था । एक दिन संयोग से किसी संत से उसका संपर्क हुआ । संत ने उसका हाथ देखते हुए कहा तुम्हरे पास समय बहुत कम है आज से एक माह बाद तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी । भोगी चिंता में घर और व्यवसाय को व्यवस्थित व नियोजित करने में लग गया । जब एक दिन बचा तो सोंचा चलो संत के दर्शन कर लिए जाएं ताकि शांति से आंखे मूंद संकू । संत ने उस व्यक्ति से पूछा क्या बात हैं बड़े शांत नजर आ रहे हो ? व्यक्ति ने जवाब दिया, अब अंतिम समय में मृत्यु निकट है तो भोग विलास कैसा ? संत हस दिए और बोला वत्स चिंता मत करो भोग विलास से बचने का यही एक मात्र तरीका है कि मृत्यु को सदैव याद रखो । मृत्यु निश्चित है । यह विचार सदैव सम्मुख रखनी चाहिए और इसी के अनुसार हर क्षण का सदुपयोग करना चाहिए । हर पल को जीना चाहिए । सीख --- जिंदगी में हर क्षण का आनंद उठाते हुए सकारात्मक सोच के साथ जीना ही जीवन है ।   इसे भी पढ़िए ----- "भिक्षुक" की एक प्रेरणादायक कहानी Hindi Suvichar Sangrah समाजिक शायरी  

स्वाधीनता का समारोह स्वतंत्रता दिवस

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celebration of Independence Day ---- Independence Day poem स्वाधीनता का समारोह दिवस पन्द्रह अगस्त लहराए तिरंगा, रहे अमर शौर्य, समर्पण ने था किया राजतिलक स्वाभिमान से मस्तक ऊंचा, है हर्षित गर्वित पल आओ भारत माता का हम करें अभिनंदन जननी जन्मभूमि हमारी सर्वप्रथम शहीदों के बलिदान का हो स्मरण है आजादी अनमोल, करबद्ध आलिंगन विकास पायदान और मौलिक अधिकार प्रथम आजादी देश को सम्मान, हार्दिक वंदन भारत के नागरिक हम करते प्रण न्योछावर सर्वस्व अक्षुन्न देश,एक हम | ( डॉ पुरवा अग्रवाल ) इसे भी पढ़िए ----- देश है क्या और देश भक्ति है क्या ? 15 शानदार सुविचार हिंदी में Father Daughter Story In Hindi    

देश है क्या और देश भक्ति है क्या ?

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  देश है क्या और देश भक्ति है क्या ? त्याग और कुर्बानी कि वो कहानी है क्या ? मर मिटे थे जो देश की खातिर, बहती थी उन दीवारों में वो रवानी है क्या ? देश केवल एक भूखंड नहीं बांट दे हमें कोई आकर टुकड़ों में सहन हमें यह पाखंड नहीं, फिर से बना लो काला- पानी चाहे डाल दो कारावास में हम नहीं जाने देंगे आजादी को वनवास में, क्षण से लहराओ तिरंगा भले ही, जाग्रत रहो और रहो पूरे होशोहवास में, देशभक्ति के ये लौ जलती रहे सदा हर हृदय और श्वास में । (  अलका सोनी )   इसे भी पढ़िए ---- ईर्ष्या का प्रभाव छोटी सी कहानी मुखौटे ही मुखौटे हर जगह छुपा लिए ये चेहरे हैं Thought Which Impress Every One  

ईर्ष्या का प्रभाव छोटी सी कहानी

ईर्ष्या का प्रभाव ------ एक संत ने अपने शिष्यों को खास शिक्षा देने के लिए कहा की वे जिससे भी ईर्ष्या करते हैं उसका नाम आलुओं  लिखकर उन्हें सात दिन तक अपने पास रखे | दो तीन दिनों बाद ही शिष्यों ने आपस में शिकायत करना शुरू किया, जिनके आलू ज्यादा थे, वे बेहद कष्ट में थे, व् जिनके आलू कम थे वे कम कष्ट में थे | आखिरी  दिन संत ने बोले अब आलुओं की थालियाँ निकालकर रख दें | संत ने सात दिनों का अनुभव पूछा ? सभी ने अपनी अपनी पीड़ा सुनाई | आलुओं की बदबू से होने वाली परेशानी के बारे में बताया | संत बोले जब सात दिनों में ये आलू तुम्हे बोझ लगने लगे तो सोंचिये की आप जिन लोगो से ईर्ष्या या नफरत करते हैं उनका कितना बोझ मन पर होता होगा ? सोंचिये मन और दिमाग का इस ईर्ष्या के बोझ से क्या हालत होती होगी ? यह ईर्ष्या तुम्हारे मन पर अनावश्यक बोझ डालती हैं, उनके कारण तुम्हारे मन में भी बदबू भर जाती है उन आलुओं की तरह | इसलिए अपने  मन से इन भावनाओं को निकल दो |   इसे  भी पढ़िए ----- महाराज व नाविक की कहानी सुविचार इन हिंदी कोट्स 15 शानदार सुविचार हिंदी में